ज़िन्दगी में बहुत से ख्याल आते हैं और चले जाते हैं सही है ना? और कुछ ख्याल ऐसे होते हैं जिनमे हम सोचते हैं कि “यार कुछ करना है कुछ बनना है” “इस दुनिया को साबित करना है कि मैं कौन हूँ”। लेकिन ये सब जो हम सोचते हैं वो एक ख्याल, हकीकत में कैसे बदले, इसके लिए क्या किया जाये? ये सबसे ज्यादा मुश्किल ख्याल होता है। हम सब में से कितनों ने अपने ख्यालों को हकीकत में बदला है? गिनती बहुत कम है। “जिंदगी में जो करने का सोचा उसकी जगह कुछ और ही करना शुरू कर दिया और उस मुकाम तक नहीं पहुंचे जहा पहुँच सकते थे।“ और आज मलाल करते हैं की काश मैंने ये किया होता वो किया होता तो मैं आज वह होता। सोचते है ना ये सब?
आज का युवा हमेशा कुछ नया सोचता है, और करना भी वही चाहता है जो वो सोचता है, बस जरुरत है उसका साथ निभाने की। इस बात को एक मशहूर फिल्म 3 इडियट्स से समझते हैं, जिसमे तीन युवाओं की कहानी है, और उनमे दो युवा, जिसमे से एक को उसकी सोच पर उसके माता पिता का सपोर्ट नहीं मिलता तो एक को परिस्तिथियों का, और जब सपोर्ट मिलता है तो दोनों को सफलता की मंजिल मिलती है, और बहुत शानदार मिलती है।
ऐसे बहुत से लोग हैं दुनिया में जिन्हें ये भी नहीं पता होता कि “चले कहाँ से थे, जाना कहाँ था और पहुँच कहाँ गए” क्या ऐसा आप अपने बच्चों के साथ होने देना चाहते हैं? अगर नहीं तो उनके ख्यालों को पंख दे दीजिये, फिर देखिये वह कहाँ पहुँचते हैं, और सफलता के नए आयाम गढ़ते हैं, और फिर भविष्य में उन्हें ये मलाल भी नहीं होगा कि करना क्या चाहते थे और क्या कर रहे हैं।
अगर आपने अपनी सोच पर बंधन लगा लिया था और वो मुकाम हांसिल नहीं कर पाए जो करना चाहते थे, तो अब अपने बच्चों की “भविष्य की सोच” को मत बांधिये उन्हें पूरा सपोर्ट करिए ताकि वो अपने मुकाम को हांसिल कर सकें।